दुनिया का पहला सफ़ेद इबेरियन लिंक्स स्पेन में कैमरे में कैद

प्रकृति की दुनिया से एक ऐसी ख़बर आई है जिसे विशेषज्ञ 'चमत्कार' कह रहे हैं। स्पेन के घने जंगलों में, दुनिया के पहले सफ़ेद इबेरियन लिंक्स (White Iberian Lynx) को कैमरे में कैद किया गया है।


यह एक ऐसी 'पौराणिक' बिल्ली है जिसके अस्तित्व को अब तक सिर्फ़ किस्से-कहानियों में माना जाता था।

स्पेन के सिएरा डी एंडुजर नेचुरल पार्क में एक फोटोग्राफर द्वारा लिए गए वीडियो और तस्वीरों ने इस "भूतिया बिल्ली" ('Ghost Cat') के अस्तित्व की पुष्टि की है। लेकिन यह कहानी सिर्फ़ एक वायरल वीडियो की नहीं है। यह विज्ञान, 20 साल की अथक मेहनत और विलुप्त होने की कगार से वापस आई एक प्रजाति की 'उम्मीद' की कहानी है।

फोटोग्राफर की ज़ुबानी: 'मैं अभी भी सदमे में हूँ'

यह अद्भुत खोज 29 वर्षीय स्पेनिश वाइल्डलाइफ़ फोटोग्राफर Ángel Hidalgo (एंजेल हिडाल्गो) ने की है। हिडाल्गो, जो एक कंस्ट्रक्शन फैक्ट्री में काम करते हैं, अपना हर खाली पल एंडालूसिया के जंगलों में वन्यजीवों की तस्वीरें लेने में बिताते हैं।

उन्होंने महीनों तक कैमरा ट्रैप (Camera Traps) लगाकर इस मायावी जानवर को पकड़ने की कोशिश की थी।

हिडाल्गो ने PetaPixel और Euronews को बताया, "मैंने सालों से कैमरा लगाए हैं, कई बार नाकाम रहा और घंटों काम किया। जब मैंने पहली बार फुटेज देखी, तो मुझे लगा कि यह कैमरे का कोई इफ़ेक्ट है।"

कई असफल प्रयासों के बाद, एक रात की बारिश के बाद, सुबह-सुबह उनकी मुलाक़ात उस 'भूतिया बिल्ली' से आमने-सामने हुई। "मैं सन्न रह गया था," वे कहते हैं। "मैं अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर पा रहा था। यह मेरे लिए एक अविस्मरणीय याद है।"

वैज्ञानिक विश्लेषण: यह अल्बिनो (Albino) क्यों नहीं है?

यह पहली चीज़ है जिसने वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। यह लिंक्स 'अल्बिनो' नहीं है। यह एक और भी दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति है जिसे 'ल्यूसिज़्म' (Leucism) कहते हैं।

यहाँ दोनों के बीच गहरा अंतर है, जिसे समझना ज़रूरी है:

  1. ल्यूसिज़्म (Leucism):
    • यह एक आनुवंशिक स्थिति है जो पिगमेंट (रंग) बनाने वाली कोशिकाओं को शरीर के कुछ हिस्सों तक पहुँचने से रोकती है।
    • परिणाम: जानवर का फर (fur) या पंख सफ़ेद या हल्के पीले (cream-white) हो जाते हैं।
    • मुख्य पहचान: आँखें, नाक और पंजे अपना सामान्य पिगमेंट (रंग) बनाए रखते हैं। इसी वजह से इस सफ़ेद लिंक्स की आँखें अभी भी गहरी और भेदक (piercing amber eyes) हैं।
  2. अल्बिनिज़्म (Albinism):
    • यह मेलेनिन (melanin) पिगमेंट के उत्पादन की पूर्ण कमी है।
    • परिणाम: जानवर का पूरा शरीर (फर, त्वचा, आँखें) सफ़ेद होता है।
    • मुख्य पहचान: पिगमेंट की कमी के कारण आँखें अक्सर गुलाबी या लाल दिखाई देती हैं (क्योंकि रक्त वाहिकाएँ दिखने लगती हैं)।

क्या यह सफ़ेद रंग लिंक्स के लिए खतरनाक है?

हाँ, यह एक गंभीर चिंता का विषय है। इबेरियन लिंक्स अपने चित्तीदार, भूरे रंग के फर पर शिकार से छिपने (camouflage) के लिए निर्भर करता है।

  • शिकार: एक सफ़ेद शिकारी अपने मुख्य भोजन (खरगोश) को आसानी से चौंका नहीं सकता।
  • शिकारी: हालांकि एक वयस्क लिंक्स का कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं होता, लेकिन सफ़ेद रंग उसे इंसानी शिकारियों (poachers) के लिए एक आसान निशाना बना सकता है।

इसी वजह से, फोटोग्राफर एंजेल हिडाल्गो और अधिकारियों ने उस जगह का सटीक खुलासा नहीं किया है जहाँ यह लिंक्स देखा गया था, ताकि इसे सुरक्षित रखा जा सके।

यह सिर्फ़ एक बिल्ली नहीं, यह 'संरक्षण की सबसे बड़ी जीत' है

इस ख़बर को जो चीज़ वास्तव में शक्तिशाली और गहरी बनाती है, वह सिर्फ़ इसका सफ़ेद रंग नहीं है, बल्कि इसका 'इबेरियन लिंक्स' होना है।

गहराई से समझें: विलुप्ति की कगार पर
इबेरियन लिंक्स को दशकों तक "दुनिया की सबसे लुप्तप्राय (most endangered) बिल्ली" माना जाता था। WWF और IUCN रेड लिस्ट के अनुसार:

  • 2002 में: अवैध शिकार और उनके मुख्य भोजन (खरगोश) की आबादी में बीमारी (myxomatosis) के कारण भारी गिरावट आई। पूरी दुनिया में सिर्फ़ 94 इबेरियन लिंक्स बचे थे। यह प्रजाति विलुप्त होने से बस एक कदम दूर थी।

चमत्कारी वापसी: द कमबैक प्लान
इसके बाद स्पेन और पुर्तगाल ने यूरोपीय संघ के साथ मिलकर इतिहास के सबसे सफल संरक्षण प्रयासों में से एक को अंजाम दिया:

  1. कैप्टिव ब्रीडिंग (Captive Breeding): वैज्ञानिकों ने बचे हुए लिंक्स को पकड़कर सुरक्षित माहौल में उनका प्रजनन शुरू किया।
  2. खरगोशों की वापसी: जंगलों में खरगोशों की आबादी को फिर से बसाया गया, जो लिंक्स के भोजन का 90% हिस्सा हैं।
  3. हैबिटेट रेस्टोरेशन: जंगलों को सुरक्षित किया गया और 'वाइल्डलाइफ़ कॉरिडोर' बनाए गए ताकि लिंक्स एक जंगल से दूसरे जंगल जा सकें।

परिणाम (डेटा):
IUCN के 2024 के ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, इबेरियन लिंक्स की आबादी 94 (2002 में) से बढ़कर 2,000 से अधिक (2024 में) हो गई है। इसी साल, उनका स्टेटस "Critically Endangered" (गंभीर रूप से लुप्तप्राय) से बदलकर "Vulnerable" (संवेदनशील) कर दिया गया।

यह सफ़ेद लिंक्स क्यों मायने रखता है?

यह सफ़ेद लिंक्स सिर्फ़ एक आनुवंशिक चमत्कार नहीं है।

यह एक स्वस्थ और बढ़ती हुई आबादी का संकेत है। जब एक प्रजाति की संख्या इतनी बढ़ जाती है कि उसमें दुर्लभ आनुवंशिक विविधता (जैसे ल्यूसिज़्म) फिर से उभरने लगती है, तो यह इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि प्रजाति खतरे से बाहर आ रही है।

यह प्रकृति का दुनिया को यह बताने का तरीका है कि 20 साल की मेहनत काम कर गई। यह संरक्षण की जीत का 'जीवित सबूत' है।

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