वैज्ञानिकों ने 70 साल पुरानी पहेली सुलझाई: 'Nanotyrannus' एक अलग डायनासोर था, टी-रेक्स का बच्चा नहीं

इस रहस्यमय जीव को 'नैनोटायरैनस लैंसेंसिस' (Nanotyrannus lancensis) या 'छोटा तानाशाह' नाम दिया गया था।

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लेकिन वैज्ञानिक समुदाय दो धड़ों में बंटा हुआ था। एक वर्ग का मानना था कि नैनोटायरैनस एक अलग, छोटी प्रजाति थी। वहीं, दूसरे और अधिक प्रभावशाली वर्ग का तर्क था कि ये जीवाश्म कोई अलग प्रजाति नहीं, बल्कि सिर्फ टी-रेक्स के ही 'किशोर' (juvenile) बच्चे थे।

आज, यह दशकों पुरानी बहस निर्णायक रूप से समाप्त हो गई है। नॉर्थ कैरोलिना म्यूजियम ऑफ नेचुरल साइंसेज (NCMNS) के वैज्ञानिकों ने, एक असाधारण जीवाश्म के वर्षों के विश्लेषण के बाद, यह पुष्टि कर दी है: नैनोटायरैनस असली था।

यह ख़ुलासा, जो प्रतिष्ठित नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है, टी-रेक्स और डायनासोर के अंतिम दिनों के बारे में हमारी पूरी समझ को बदल रहा है।

बहस का इतिहास: 'जेन' और 'किशोर टी-रेक्स' का सिद्धांत

यह कहानी 1980 के दशक में शुरू हुई जब एक छोटी टायरानोसॉर खोपड़ी का पुनः विश्लेषण किया गया और उसे 'नैनोटायरैनस' नाम दिया गया। लेकिन असली विवाद 2001 में "जेन" (Jane) नामक एक और लगभग पूर्ण, छोटे टायरानोसॉर जीवाश्म के मिलने से शुरू हुआ।

कई वैज्ञानिकों ने तर्क दिया कि "जेन" की शारीरिक रचना एक किशोर टी-रेक्स के विकास के चरणों से मेल खाती है। यह "किशोर टी-रेक्स" सिद्धांत इतना मज़बूत हो गया कि इसे व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया गया। संग्रहालयों, किताबों और वृत्तचित्रों में नैनोटायरैनस को टी-रेक्स के विकास के एक चरण के रूप में दिखाया जाने लगा।

इस सिद्धांत ने एक बड़ी पहेली को भी हल कर दिया था: जीवाश्म रिकॉर्ड में किशोर टी-रेक्स इतने कम क्यों थे? जवाब था: वे थे, हम बस उन्हें 'नैनोटायरैनस' कह रहे थे।

निर्णायक सबूत: 'ड्यूलिंग डायनासोर' का जीवाश्म

इस पूरी बहस की चाबी 2006 में मोंटाना में मिला "ड्यूलिंग डायनासोर" (Dueling Dinosaurs) नामक एक अद्भुत जीवाश्म था। इस जीवाश्म में एक ट्राइसेराटॉप्स और एक छोटा टायरानोसॉर एक-दूसरे से लड़ते हुए, शायद एक प्रलयकारी घटना में, एक साथ दफन हो गए थे। यह जीवाश्म इतना संपूर्ण है कि इसे "रोसेटा स्टोन" कहा जा रहा है।

2020 में, NCMNS ने इस जीवाश्म को हासिल किया और डॉ. लिंडसे ज़ैनो (Dr. Lindsay Zanno) के नेतृत्व में एक गहन विश्लेषण शुरू किया। टीम ने सबसे पहले इस छोटे टायरानोसॉर (जो 'जेन' से भी बड़ा था) की उम्र का पता लगाने का फैसला किया।

माइक्रो-लेवल विश्लेषण: हड्डियों ने खोला 66 मिलियन साल पुराना राज़

वैज्ञानिकों ने जीवाश्म की टांग की हड्डियों को सावधानीपूर्वक काटा और माइक्रोस्कोप के नीचे उनकी जांच की। जैसे पेड़ों के तनों में हर साल एक नया छल्ला (ring) बनता है, वैसे ही डायनासोर की हड्डियों में भी 'वृद्धि के छल्ले' (growth rings) होते हैं।

नतीजे चौंकाने वाले थे। इस नैनोटायरैनस की हड्डियों में कई छल्ले थे, जो यह दर्शाते थे कि यह लगभग 20 साल का एक वयस्क था।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह थी कि बाहरी छल्ले एक-दूसरे के बहुत पास-पास थे, जो इस बात का स्पष्ट संकेत था कि इसका विकास लगभग रुक गया था। यह जानवर अपनी अधिकतम वृद्धि तक पहुँच चुका था।

डॉ. ज़ैनो ने स्पष्ट किया, "यह एक किशोर टी-रेक्स होने की कोई संभावना नहीं है। जब यह मरा, तब यह अपनी पूरी वृद्धि पा चुका था, फिर भी इसका आकार एक वयस्क टी-रेक्स का केवल दसवां हिस्सा था। यह जैविक रूप से असंभव है कि यह जानवर एक विशाल टी-रेक्स में बदल जाता।"

सिर्फ उम्र नहीं, शारीरिक बनावट भी अलग थी

यह विश्लेषण सिर्फ उम्र पर ही नहीं रुका। टीम ने इस जीवाश्म की तुलना ज्ञात टी-रेक्स जीवाश्मों से की। अंतर स्पष्ट थे और इतने गहरे थे कि उन्हें केवल 'बचपन' और 'जवानी' का अंतर नहीं कहा जा सकता।

सबसे बड़ा अंतर था 'हाथ'। टी-रेक्स अपने कुख्यात रूप से छोटे, लगभग बेकार हाथों के लिए जाना जाता है। इसके विपरीत, नैनोटायरैनस के हाथ और पंजे अनुपात में बहुत बड़े, मज़बूत और मांस फाड़ने के लिए बने थे।

इसके अलावा, नैनोटायरैनस के जबड़े में टी-रेक्स की तुलना में अधिक दांत थे, उसकी खोपड़ी की संरचना अलग थी, और उसकी पूंछ में कशेरुकाओं (vertebrae) की संख्या भी भिन्न थी। यह वे अंतर हैं जो उम्र के साथ नहीं बदलते।

टी-रेक्स के साये में एक फुर्तीला शिकारी

इस ख़ुलासे ने दशकों के शोध को पलट दिया है। यह सिर्फ एक नई प्रजाति की पुष्टि नहीं है; यह डायनासोर के अंतिम दिनों की हमारी पूरी समझ को बदल देता है।

अब हम जानते हैं कि क्रेटेशियस काल के अंत में, *टायरानोसॉरस रेक्स* एकमात्र शीर्ष शिकारी नहीं था। टी-रेक्स एक विशाल, शक्तिशाली शिकारी था जो अपनी हड्डी-कुचलने वाली बाइट फ़ोर्स के लिए जाना जाता था।

लेकिन उसी पारिस्थितिकी तंत्र में, उसके साथ *नैनोटायरैनस* भी रहता था—एक छोटा, हल्का, तेज़ और अधिक फुर्तीला शिकारी, जिसके मज़बूत हाथ उसे एक अलग तरह का खतरा बनाते थे। वे दोनों शायद अलग-अलग शिकार करते थे और एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी थे।

एक पहेली सुलझी, दूसरी शुरू हुई

इस खोज ने एक और दिलचस्प पहेली खड़ी कर दी है: अगर 'नैनोटायरैनस' और 'जेन' किशोर टी-रेक्स नहीं थे, तो फिर असली किशोर टी-रेक्स कहाँ हैं? वे कैसे दिखते थे?

इसका मतलब है कि दशकों से वैज्ञानिक टी-रेक्स के विकास का जो मॉडल इस्तेमाल कर रहे थे, वह गलत था। वह दो अलग-अलग जानवरों पर आधारित था।

यह ख़ुलासा विज्ञान की सबसे खूबसूरत बात को दर्शाता है: कि कैसे एक असाधारण, एकल जीवाश्म (जैसे 'ड्यूलिंग डायनासोर') दशकों की आम सहमति को चुनौती दे सकता है और हमें सच्चाई के करीब ला सकता है। डायनासोर के राजा टी-रेक्स की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है; वास्तव में, यह अब और भी अधिक जटिल और दिलचस्प हो गई है।

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