ब्राज़ील के बेलेम में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन में गुरुवार दोपहर उस समय व्यवधान उत्पन्न हो गया जब आयोजन स्थल के एक कंट्री पैविलियन (Country Pavilion) में आग लग गई। इस घटना के बाद ब्लू ज़ोन (Blue Zone) — जहाँ प्रमुख वार्ताएँ होती हैं — से हजारों प्रतिनिधियों को तुरंत सुरक्षित बाहर निकालना पड़ा।
नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, धुएं और घबराहट के कारण 13 से 21 लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान की गई, लेकिन राहत की बात यह है कि कोई गंभीर रूप से हताहत नहीं हुआ।
आग कैसे लगी?
घटना स्थानीय समय के अनुसार दोपहर करीब 2 बजे हुई। सुरक्षा अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आग कंट्री पैविलियन क्षेत्र में शुरू हुई, जिसका शुरुआती कारण इलेक्ट्रिकल फॉल्ट या जनरेटर की खराबी माना जा रहा है।
आग लगते ही सुरक्षा प्रोटोकॉल सक्रिय कर दिए गए और त्वरित निकासी शुरू कर दी गई। थोड़ी देर के लिए घना काला धुआँ क्षेत्र में फैल गया, लेकिन अग्निशमन दल ने जल्द ही स्थिति काबू में कर ली।
कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों ने आयोजन स्थल की संरचनात्मक तैयारी पर पहले से सवाल उठाए थे — जैसे निर्माणाधीन सेक्शन, खुले प्लाईवुड फ्लोरिंग और अस्थायी मेष मार्ग — जिन पर अब और गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
घायलों की स्थिति
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि लगभग 21 प्रतिनिधियों ने चिकित्सा सहायता ली, जिनमें से 13 को एहतियातन अस्पताल ले जाया गया। अधिकांश को धुएं के संपर्क (Smoke Inhalation) और चिंता (Anxiety) के लक्षण थे।
सभी की हालत अब स्थिर बताई जा रही है।
घटना के बाद सुरक्षा जांच के लिए क्षेत्र को कुछ समय के लिए बंद किया गया। बाद में ब्लू ज़ोन के सुरक्षित हिस्सों को खोल दिया गया, जबकि प्रभावित पैविलियन अभी भी बंद है।
संवेदनशील समय पर बड़ा व्यवधान
यह आग उस समय लगी जब वार्ताकार अनुकूलन वित्त (Adaptation Finance) को 2030 तक तीन गुना करने के महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे थे।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि वर्तमान ड्राफ्ट में जीवाश्म ईंधन चरणबद्ध समाप्ति (Fossil Fuel Phase-Out) का स्पष्ट रोडमैप शामिल नहीं है — यही मुद्दा पहले से तनाव का कारण बना हुआ था।
अब आग से हुई देरी ने अंतिम समझौते तक पहुँचने की चुनौती को और गहरा कर दिया है।
सम्मेलन की कार्यवाही धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन समय की कमी को लेकर प्रतिनिधियों के बीच चिंता बरकरार है।
अब सवाल यह है कि क्या वैश्विक नेता सुरक्षा व्यवधान और सीमित समय के बावजूद किसी ठोस वित्तीय और जलवायु समझौते पर सामंजस्य बना पाएंगे, या यह हादसा COP30 की प्रगति को धीमा कर देगा।

0 Comments