नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में आज (6 नवंबर, 2025) प्रकाशित इस शोध ने चेतावनी दी है कि यह बढ़ता 'महासागरीय मंथन' समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (marine ecosystems), पोषक तत्वों के प्रवाह और गर्मी के वितरण को नाटकीय रूप से बदल सकता है।
यह अध्ययन दक्षिण कोरिया के IBS सेंटर फॉर क्लाइमेट फिजिक्स (ICCP) के नेतृत्व में किया गया, जिसने इस खोज की पुष्टि करने के लिए सबसे उन्नत सुपर कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग किया।
मुख्य खोज क्या है?
शोधकर्ताओं ने पाया कि जैसे-जैसे ग्रह गर्म हो रहा है और ध्रुवीय बर्फ पिघल रही है, आर्कटिक और अंटार्कटिक, दोनों महासागरों में छोटी, भँवर जैसी समुद्री धाराएँ (जिन्हें 'मेसोस्केल एडीज़' कहते हैं) तेज़ हो रही हैं।
ICCP के वैज्ञानिकों के अनुसार, पहले के जलवायु मॉडल इस छोटी-सी हलचल को पकड़ने में नाकाम थे, जिस कारण हम वार्मिंग के प्रभाव को कम आंक रहे थे। यह नई खोज उस "गैप" को भरती है।
आर्कटिक और अंटार्कटिक में अंतर क्यों?
दिलचस्प बात यह है कि दोनों ध्रुवों पर उथल-पुथल बढ़ने के कारण अलग-अलग हैं:
- आर्कटिक में: समुद्री बर्फ के तेज़ी से पिघलने के कारण महासागर 'खुल' गया है। तेज़ ध्रुवीय हवाएँ अब सीधे पानी की सतह से टकरा रही हैं, जिससे घर्षण (friction) पैदा हो रहा है और पानी में भँवर बन रहे हैं।
- अंटार्कटिक में: यहाँ ज़मीन पर मौजूद ग्लेशियरों के पिघलने से 'ताज़ा पानी' (freshwater) समुद्र में मिल रहा है। यह हल्का ताज़ा पानी, भारी खारे पानी के ऊपर एक परत बना देता है, जिससे समुद्री धाराएँ अस्थिर हो जाती हैं और उथल-पुथल पैदा होती है।
इसका हम पर क्या असर होगा?
यह बढ़ती उथल-पुथल केवल पानी का घूमना नहीं है। यह एक 'मिक्सर' की तरह काम कर रही है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
- खाद्य श्रृंखला पर ख़तरा: यह गहरे समुद्र में जमा पोषक तत्वों को अचानक सतह पर ला सकती है, जिससे शैवाल (algal blooms) में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है, जो समुद्री जीवन के लिए ख़तरनाक है।
- तेज़ी से पिघलेगी बर्फ: यह सतह की गर्मी को गहरे पानी में मिला सकती है, जो बर्फ की चादरों (Ice Shelves) को नीचे से और भी तेज़ी से पिघला सकती है, जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ सकता है।
ICCP के निदेशक, प्रोफेसर एक्सल टिमरमन (Axel Timmermann) ने कहा, "यह खोज ध्रुवीय क्षेत्रों में भविष्य के जलवायु परिवर्तन का अनुमान लगाने के तरीके को बदल देगी। हमारे मॉडल अब दिखा रहे हैं कि ये छोटे भँवर ध्रुवीय जलवायु प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"
यह शोध स्पष्ट करता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हमारी सोच से कहीं अधिक जटिल और आपस में जुड़े हुए हैं।

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